सनातन वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का योगदान’
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Manmohan Kumar AryaDate
05-Apr-2016Language
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UmeshUpload Date
05-Apr-2016Download PDF
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à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤®, आदिकालीन, सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ, ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद और सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित है। सारे विशà¥à¤µ में यही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल व उसकी कई शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ बाद तक à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ रहने सहित सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° फलती-फूलती रही है। इस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की विशेषता का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण यह था कि यह ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद पर आधारित होने के साथ वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• व रकà¥à¤·à¤• ईशà¥à¤µà¤° के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤¤ धरà¥à¤®à¤¾ हमारे ऋ़षि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ व संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ थी। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के विनाशकारी यà¥à¤¦à¥à¤§ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ समापà¥à¤¤ हो गई जिससे संसार में धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सहित शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में घोर अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° छा गया। इस विषम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में देश-देशानà¥à¤¤à¤° में वही हà¥à¤† जैसा कि नेतà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤§ व अलà¥à¤ª नेतà¥à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ वाले अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारà¥à¤¯ होते हैं। यह अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° समापà¥à¤¤ नहीं हो रहा था अपितॠसमय के साथ बढ़ रहा था। इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हम देखते हैं कि देश-देशानà¥à¤¤à¤° में कà¥à¤› महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का जनà¥à¤® हà¥à¤† जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समाज को नई दिशा देने के लिठसामयिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° अपने-अपने मत व धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किये और इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ मत व धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पालन के लिठउन-उन देशों में, मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ यूरोप व अरब आदि देशों में, वहां की à¤à¥Œà¤—ोलिक à¤à¤µà¤‚ समाज के पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ व विकास हà¥à¤†à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल से लेकर महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ रही थी। समाज में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ बढ़ जाने से इसका विपरीत पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ दोनों पर हà¥à¤† जिस कारण संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª à¤à¥€ सतà¥à¤¯ के विपरीत अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ होकर अनेक विकारों से यà¥à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤
संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने के लिठहमें धरà¥à¤®, à¤à¤¾à¤·à¤¾, सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ गौरव की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, वेषà¤à¥‚षा, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ वा रीति-रिवाजों आदि की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर विचार और इसमें महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के योगदान की चरà¥à¤šà¤¾ करना उपयà¥à¤•à¥à¤¤ होगा। धरà¥à¤® के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤¾à¤°à¤¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल से वेद और वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का पालक रहा है। वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने के कारण सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं, यथारà¥à¤¥ धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पोषक रहे हैं। हमारे ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ à¤à¥€ विचार, चिनà¥à¤¤à¤¨, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व मनन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों के सà¤à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में निहित मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से देश की जनता को उपकृत करते थे जिससे सारा समाज व देश सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ व उनà¥à¤¨à¤¤ था। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥€à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ से सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥€à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ दी जाती थी जहां निरà¥à¤§à¤¨ व धनवानों के लिठवेद-वेदांगों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने वाली शिकà¥à¤·à¤¾ का सबके लिठसमान रूप से निःशà¥à¤²à¥à¤• पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठशिकà¥à¤·à¤¾ को अनिवारà¥à¤¯ करने की बात कही है। कृषà¥à¤£ व सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ à¤à¤• साथ पढ़ते थे और परसà¥à¤ªà¤° मितà¥à¤°à¤µà¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते थे। वैदिक काल के सà¤à¥€ आचारà¥à¤¯ व गà¥à¤°à¥ à¤à¥€ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ होते थे जिनके आचारà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ में विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का नाश होकर à¤à¤• सचà¥à¤šà¥‡ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालॠव सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना देश देशानà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ थी। सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¶à¥€à¤² व योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ होते थे जिससे सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, सà¥à¤–ी, अपरिगà¥à¤°à¤¹à¥€ व सनà¥à¤¤à¥‹à¤·à¥€ होते थे। समाज व देश में ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ होने से कहीं कोई अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ व पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ नहीं होता था। शंका होने पर राजाओं के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बड़े-बड़े शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का आयोजन होता था और विजयी पकà¥à¤· के विचारों को समसà¥à¤¤ देश को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना पड़ता था। धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ जैसा शबà¥à¤¦ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक व उसके बाद के साहितà¥à¤¯ में à¤à¥€ कहीं नहीं पाया जाता। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° वैदिक धरà¥à¤® का पालन होता था।
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाने से धरà¥à¤® का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प विकृत हो गया जिससे समाज में अवतारवाद, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤œà¤¾, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, पाखणà¥à¤¡ व आडमà¥à¤¬à¤°, जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद आदि मिथà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गये। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) तक इन मिथà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती रही। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी को सनॠ1938 की शिवरातà¥à¤°à¤¿ को ईशà¥à¤µà¤° विषयक बोध पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इसके कà¥à¤› काल बाद उनसे छोटी बहिन व चाचा की मृतà¥à¤¯à¥ ने उनमें वैरागà¥à¤¯ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की खोज के लिठसनॠ1846 में माता-पिता व सà¥à¤µà¤—ृह का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर देश à¤à¤° के धारà¥à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ व योगियों को ढूंढ कर उनकी संगति व शिषà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। मथà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ गà¥à¤°à¥‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के पास वह सनॠ1860 में पहà¥à¤‚चे और उनसे तीन वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के आरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व निरà¥à¤•à¥à¤¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤-वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर समसà¥à¤¤ वैदिक व इतर धारà¥à¤®à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बने। गà¥à¤°à¥ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संसार से मिथà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नषà¥à¤Ÿ करने के साथ आरà¥à¤· जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सतà¥à¤¯ सनातन वैदिक मत à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का कारà¥à¤¯ किया। इस कारà¥à¤¯ को समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करने के लिठही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर न केवल धरà¥à¤®à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ व शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ आदि ही किये अपितॠआरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ सहित पंचमहायाविधि, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ का पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¨ किया औरे साथ हि चारों वेदों का संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ व हिनà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ का अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ महनीय कारà¥à¤¯ à¤à¥€ आरमà¥à¤ किया। वह यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का पूरà¥à¤£ व ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ का आंशिक à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ ही कर पाये। उनके इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤§à¤¾à¤° व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का अपूरà¥à¤µ कारà¥à¤¯ किया। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिख कर व उसमें देश व देशानà¥à¤¤à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतों की समीकà¥à¤·à¤¾ कर वैदिक सनातन मत को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• व यथारà¥à¤¥ धरà¥à¤® सिदà¥à¤§ व घोषित किया। उनकी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ उनके जीवनकाल व बाद में à¤à¥€ कोई सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं कर सका जिस कारण से आज à¤à¥€ वेद धरà¥à¤® सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ महान व संसार के सà¤à¥€ लोगों के लिठआचरणीय बन गया है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के समय व उनसे पूरà¥à¤µ ईसाई व इसà¥à¤²à¤¾à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के धरà¥à¤®-परिवरà¥à¤¤à¤¨ का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चलाये हà¥à¤ थे। बहà¥à¤¤ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सफलता à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की थी परनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने उनके धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ के कारà¥à¤¯à¤ªà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पूरà¥à¤£ विराम लगा दिया। यदि हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने उनकी वेद विषयक सतà¥à¤¯ विचारधारा को अपना लिया होता तो आज देश का इतिहास कà¥à¤› नया व à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ होता। पतन को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहे वैदिक धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठउनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया कारà¥à¤¯ अपूरà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ महान है।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने सà¥à¤µà¤à¤¾à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान दिया। वह वेदों की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को विशà¥à¤µ की सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की जननी मानते थे और उसके अधिकारी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• हà¥à¤à¥¤ इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदांग पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ नाम से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ के अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¥€ लिखे हैं। गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ होते हà¥à¤ à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¤à¥€ पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ नहीं किया। वह पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° आरमà¥à¤ करने के समय से ही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते थे जो सरल सà¥à¤¬à¥‹à¤§ व मà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤°à¥‡à¤¦à¤¾à¤° होती थी जिसे संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ न जानने वाले लोग à¤à¥€ समठलेते थे। उनके वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª की à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¥€ यही à¤à¤¾à¤·à¤¾ थी। कालानà¥à¤¤à¤° में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ को अपनाया और इसे आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾ का नाम दिया। बहà¥à¤¤ कम समय में आपने हिनà¥à¤¦à¥€ सीख ली और हिनà¥à¤¦à¥€ में ही वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨, वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª व लेखन कारà¥à¤¯ करने लगे। हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिठआपने अपने सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हिनà¥à¤¦à¥€ में ही लिखे व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किये। आपने अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का उरà¥à¤¦à¥‚ आदि à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ इस कारण नहीं दी कि इससे हिनà¥à¤¦à¥€ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° पर विपरीत पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हो सकता था। इस सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहां तक कह दिया था कि जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस देश में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होकर और यहां का अनà¥à¤¨ आदि खा कर यहां की सरल à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ को नहीं सीख सकता उससे देश के हित के लिठऔर कà¥à¤¯à¤¾ उमà¥à¤®à¥€à¤¦ की जा सकती है? à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सरकारी दफतरों में काम काज की à¤à¤¾à¤·à¤¾ तय करने के लिठअंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने जब à¤à¤• कमीशन बनाया तो हिनà¥à¤¦à¥€ को सरकारी कामकाज की à¤à¤¾à¤·à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कराने के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने देश à¤à¤° में à¤à¤• हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाया और उस पर करोड़ो लोगों के हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° कराये। हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाकर सरकार से अपनी बात सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कराने वाले शायद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¥à¤® महापà¥à¤°à¥à¤· थे। à¤à¤¸à¤¾ ही अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गोरकà¥à¤·à¤¾ अथवा गोहतà¥à¤¯à¤¾ बनà¥à¤¦ कराने के लिठà¤à¥€ चलाया था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से देश में हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हà¥à¤† जिसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ उनके समकालीन व परवरà¥à¤¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ व हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ पर à¤à¥€ पड़ा। इस विषय पर शोधारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने शोध पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं। सà¥à¤µà¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ व हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद जी का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• योगदान है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की वेशà¤à¥‚षा à¤à¥€ किसी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का à¤à¤• आवशà¥à¤¯à¤• अंग होती है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ व सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वेश à¤à¥‚षा निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ है। पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठधोती, कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾, लोई वा शाल सहित बनà¥à¤¦ गले का कोट व जैकेट à¤à¤µà¤‚ सिर पर पगड़ी निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ रही है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥€ बचपन में फà¥à¤°à¤¾à¤• से आरमà¥à¤ कर किशोर, यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ व उसके बाद शलवार, कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾, चà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€ वा दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾, साड़ी आदि का पहनावा पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ में रहा है। à¤à¥Œà¤—ोलिक दूरियों के कारण इनमें कà¥à¤› नà¥à¤¯à¥‚नाधिक परिवरà¥à¤¤à¤¨ आदि à¤à¥€ देखने को मिलता है जिसमें à¤à¤• ही मूल à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ काम करती दिखाई देती है। वेशà¤à¥‚षा विषयक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिनà¥à¤¤à¤¨ फैशन न होकर शरीर की रकà¥à¤·à¤¾ व सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का सूचक होता है जिससे किसी के मन में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विकार आदि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ न हो। 8वीं शताबà¥à¤¦à¥€ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मà¥à¤—लों का आना आरमà¥à¤ हà¥à¤† और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने धरà¥à¤®, à¤à¤¾à¤·à¤¾ व वेशà¤à¥‚षा आदि थोपने में कोई कसर नहीं रखी। उसके बाद अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ आये और देश को गà¥à¤²à¤¾à¤® बनाया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ अपने ईसाई धरà¥à¤®, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° किया। हमारे देश के लोग अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से कà¥à¤› अधिक ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो गये और आज à¤à¥€ इनकी ही वेश à¤à¥‚षा का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ देश à¤à¤° में देखने को मिलता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ कम हो रहा है और विेदेशी यूरोपीय वेशà¤à¥‚षा का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ बढ़ रहा है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤®, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गौरव का à¤à¤¾à¤µ जगाया तो इसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा पर à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ रखा। वह सदैव धोती का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते थे। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤°à¥à¤¤à¥‡ में à¤à¥€ उनके चितà¥à¤° उपलबà¥à¤§ है। समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की निशानी सिर पर पगड़ी का à¤à¥€ वह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते थे और यदि ऊपर का उनका à¤à¤¾à¤— वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ है, तो वह पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ शाल या लोई ओढ़ते थे। उनके जीवन में पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग आता है कि à¤à¤• बार उनका à¤à¤• अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को उनके पास लाया और उसके सà¥à¤§à¤¾à¤° के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को उस यà¥à¤µà¤• उपदेश देने को कहा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने देखा कि उस यà¥à¤µà¤• ने विदेशी वेशà¤à¥‚षा पैणà¥à¤Ÿ-शरà¥à¤Ÿ पहन रखी है। इसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस बालक को अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की याद दिलाई और बताया कि उनकी वेशà¤à¥‚षा कà¥à¤¯à¤¾ व कैसी होती थी? यह à¤à¥€ बताया कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व चरितà¥à¤° की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हमारे उन पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की संसार में कोई समानता नहीं है। उनके विचारों का उस यà¥à¤µà¤• पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा और उसने अपना सà¥à¤§à¤¾à¤° किया। आज à¤à¥€ हम देखते हैं कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अपने घरों में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚, विशेष कर कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं व सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा के पकà¥à¤·à¤§à¤° है और उनके परिवारों में इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से सखà¥à¤¤ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा का ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हो। जहां तक अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ की बात है, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ पहले à¤à¥€ और आज à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा का सबसे बड़ा समरà¥à¤¥à¤• व पकà¥à¤·à¤§à¤° है। आज à¤à¥€ हमारे यà¥à¤µà¤• व यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ व शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा का ही पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ है। हां, डी.à¤.वी. कालेज को आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के वेशà¤à¥‚षा विषयक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं किया जा सकता।
किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति व धरà¥à¤® के मानने वाले लोगों की अपनी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व रीति-रिवाज à¤à¥€ होते हैं जो कि उनकी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अंग कहलाते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की बात करें तो यहां à¤à¥€ अनेकानेक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व रीति-रिवाज पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं जिनके संशोधन व सà¥à¤§à¤¾à¤° सहित अनावशà¥à¤¯à¤• का तà¥à¤¯à¤¾à¤— तथा à¤à¥‚ली हà¥à¤ˆ आवशà¥à¤¯à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने किया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने समसà¥à¤¤ वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को पंच महायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ व 16 वैदिक संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में ढ़ालने सहित à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मनायें जाने वाले मà¥à¤–à¥à¤¯ परà¥à¤µà¥‹à¤‚ होली, दीपावली, शिवरातà¥à¤°à¤¿ आदि परà¥à¤µà¥‹à¤‚ को वैदिक विधि से मनाये जाने का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, माता-पिता-आचारà¥à¤¯-वृदà¥à¤§à¥‹à¤‚ आदि का समà¥à¤®à¤¾à¤¨, पशà¥-पकà¥à¤·à¥€-कीट-पतंगों आदि को अनà¥à¤¨ व à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराना तथा अतिथियों का सतà¥à¤•à¤¾à¤° करने सहित गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ से लेकर अनà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ 16 संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किया। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश व विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ का पकà¥à¤·à¤§à¤° है और सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वेदादि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को नियमित रूप से पढ़ने व पढ़ाने को जीवन का अनिवारà¥à¤¯ अंग मानता है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ वेदादि सà¤à¥€ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के नियमित सवाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का पà¥à¤°à¤¬à¤² समरà¥à¤¥à¤• है। वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में अचà¥à¤›à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ व अनावशà¥à¤¯à¤• à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं के नियंतà¥à¤°à¤£ का आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ समरà¥à¤¥à¤• है। इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ योगदान दिया है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ पर आधारित हैं जिनसे समाज लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होता है। इसी कारण सà¤à¥€ लोग अपनी अपनी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इसे पसनà¥à¤¦ करते व अपनाते हैं। यही कारण है कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤‚माज à¤à¤¾à¤°à¤¤ तक ही सीमित न होकर à¤à¤• विशà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ संगठन है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त व सामाजिक नियम तथा विधि-विधान कैसें हों, इसके लिठआरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं व मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के अविवादित सà¤à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¸à¤‚गत व देश समाजोपयोगी नियमों को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¤¸à¥‡ अधिकांश नियमों का सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सहित अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– à¤à¥€ किया है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• चोटी, यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ व सिर पर पगड़ी धारण करने के à¤à¥€ समरà¥à¤¥à¤• है। बहà¥à¤¤ से लोग आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के à¤à¤¤à¤¦à¤µà¤¿à¤·à¤¯à¤• तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ से सहमत होने के कारण इनका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वैदिक धरà¥à¤® के विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ व नियम मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को सतà¥ï
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